सफ़र - ए-मुहब्बत

सफ़र - ए-मुहब्बत : -
आ इस तरह तुझसे बात करें
कि, तुझे लफ्ज़ों में ढालें पर लफ़्ज़ों को ज़ुबां न दें।
आ इस तरह तुझसे बात करें।

आ इस तरह तेरा दीदार करें
कि, तुझे आँखों में बसाएं पर तुझी से आंखें चार न करें।
आ इस तरह तेरा दीदार करें।

आ इस तरह तुझसे मुलाकात करें
कि, हर जगह तेरी ही बात करें पर तुझी से बात न करें।
आ इस तरह तुझसे मुलाकात करें।

आ इस तरह तुझे दुआओं में सजाएं
कि, दिन - रात तेरी खैरियत रब से माँगें पर तुझसे ही तेरी ख़ैरियत न पूछें।
आ इस तरह तुझे दुआओं में सजाएं ।

आ इस तरह सफ़र - ए -मुहब्बत तय करें
कि, तुझे दिल में क़ैद करलें पर तुझीसे मुहब्बत का इज़हार न करें।
आ इस तरह सफ़र -ए - मुहब्बत तय करें।
अनिता जैन @ weekendshayar.blogspot.in and weekendshayar.com 

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इस बात का शुक्रगुज़ार रहूँगा।