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Showing posts from October, 2018

मेरी जान तू उदास क्यूं है?

मेरी जान तू उदास क्यूं है? दिल को करती है छलनी,हटा इसे, चेहरे पे ये मायूसी क्यूं है? जीना मुश्किल करती है,तेरे माथे पे शिकन, आवाज़ में बेबसी क्यूं है? मुहब्बत के नग़मे पर भी तेरे साज़ से बजती बेकसी क्यूं हैं? हूँ हैरान, हूँ परेशान,मेरी जान तू उदास क्यूं है? उजड़ी ज़मीनों पर सरसब्ज़ बाग़ खिलाने की कोशिश क्यूं है? ठूंठ पड़े पेड़ों पर पंछियों को बसाने की ख़्वाहिश क्यूं है? भरे गुलिस्तां में बैठा तू फूलों और कलियों से बेज़ार क्यूं है? भरले दामन में खिलती बहार को, मेरी जान तू उदास क्यूं है? सुनहरे कल का पैग़ाम लाई चिड़ियों का गान अनसुना क्यूं है ?नूर - ए-शम्स का इस्तकबाल कर,रोशनी से अनजाना क्यूं है? कलकल करती नदियों का संगीत सुन, तू इतना अनमना   क्यूं  है। इनके साथ मिला ले ताल से ताल , मेरी जान तू उदास क्यूं है? खुश होता हूँ तेरी ख़ुशी में,सोचे ज़माना ये खुश क्यूं है?कामयाबी पर झूमता हूँ तेरी तो बवाल कि ये हँसता क्यूं है? यूं रहकर रूठा- रूठा सा मेरी खुशियों का करता कत्ल-ए- आम क्यूं है? मेरी तरह सीख ले हँसकर जीना, मेरी जान तू उदास क्यूं है? जिन रास्तों को भूल गई परछाई भी मे

इस बात का शुक्रगुज़ार रहूँगा।

इस बात का शुक्रगुज़ार रहूँगा। अगर तू साथ है तो मुश्किल डगर भी आसान है, तेरे कदमों की चाप से मिलती मेरे कदमों को जान है। शायद लब से न कहूँ पर तू ही मेरा दिल मेरी जान है, जो न पाऊँ आसपास तुझको लगता जहां सुनसान है। जो हम साथ -साथ चलें तो बियाबां में भी बहार है, हो जहां साथ पर तुम बिन जीना दुश्वार है। हर सुबह खिलती है तब जब होता तेरा दीदार है, तेरी पलकों के परदे गिरने पर शाम होती ढलने को बेकरार है। तू जो साथ चलेगी जीवन मधुबन सा खिलता रहेगा, हर खुशी बढ़ती रहेगी हर ग़म घटता रहेगा। तुझसे ही मेरे घर का कोना- कोना संवरता रहेगा, जीता हूँ इसी आस में कि, ताउम्र तेरा प्यार बरसता रहेगा। जीवन की ढलती साँझ में तू मेरे साथ होगी जब थक कर बैठूंगा, हर नज़ारा तू मेरी मैं तेरी  नज़रों देखूँगा। बिन कहे हर बात तू मेरी मैं तेरी समझूँमा, ख़ुदा ने तुझे बख़्शा मुझको,इस बात का शुक्रगुज़ार रहूँगा। अनिता जैन Weekendshayar

तुझे इस जहां के लिए मांगा करते हैं।

तुझे इस जहां के लिए मांगा करते हैं।  न हम मुकम्मल हुए तो क्या ग़म है, तुझे आबाद देखकर ही खुश  रहा करते हैं। तुझे फूलों भरा चमन मिले ये दुआ  है, उजाड़ बियाबान में भी हम तो खुशी से सफ़र करते हैं। न आज़माओ हम पे ज़हर- ओ-खंजर,  इस सुर्ख़ाब रुख पर हम तो यूं ही जां निसार करते  हैं। तुझे क्या ज़रूरत खुशियाँ हमसे मांगने की, तेरी मुस्कुराहट पर हम तो अपना जहां कुर्बान करते हैं। न बैठ तू उदास और बेज़ार ऐसे, तेरी मुस्कुराहट को हम तो हफ़्तों तरसा करते हैं। न तोहफों से तौला कर मेरे इश्क को, तेरे नूर- ए-नज़र से ही हम तो  अमीर हुआ करते हैं। न वहम कर मेरे नेक इरादा- ओ- करम पे,  तुझे खुद के लिए नहीं हम तो जहां के लिए मांगा करते हैं। अनिता जैन weekendshayar word-meaning:- 1.मुकम्मल:- complete 2.उजाड़:- destroyed / barren 3.बियाबान :- desert 4. खंजर:- dragger/ कटार 5.सुर्खाब रुख़ :- गुलाबी चेहरा 6.बेज़ार :- unhappy/ sick नाख़ुश  7. नूर- ए- नज़र :- आँखों की चमक