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Dard e ishq

कविता : दर्द - ए-इश्क दर्द- ए - इश्क जो दिल की गहराई में पैबस्ता है, उसे अश्कों में बहा लूँ कि, तेरी बेरुखी का खंजर इस दिल कॊ नज़र कर दे । तेरी पलकों से झरते आँसुओं को अपने दामन में समेट लूँ कि, बेधड़क तेरे अश्क मेरे दिल  को  नज़र कर दे । झूठी  ही सही दिखावे की ही सही ऐ मग़रूर आ कि, इक मुस्कुराहट तो इस चेहरे  को नज़र करदे। टूटे आईने के टुकड़ों से इस दिल में बाग़ुरूर ही झाँक ले ज़रा, ये भरम ही सही अपनी परछाई तो इस टूटे दिल को नज़र कर दे । तेरी राह में बिछी मेरी पलकों से ख़्वाब चुराकर रोशन करले अपना जहाँ , बदले में अपनी ज़िंदग़ी के अँधेरे इन आँखों को नज़र करदे। अनिता जैन weekendshayar.blogspot.in and weekendshayar.com