Posts

Showing posts from August, 2018

कविता:- कितनी कोशिशें !!??

कविता:- कितनी कोशिशें !!??  कितनी कोशिशों कीं तेरे नाम को ज़ुबां पर न लाने  की, काश एक कोशिश तुझे  पुकारने की की होती, तो ज़िंदग़ी कुछ और  होती। कितनी कोशिशें कीं तेरी आँखों से छलकते प्यार को नकारने की, काश एक कोशिश आँखों में डूबने की की होती, तो जिंदग़ी कुछ और होती। कितनी कोशिशें कीं तेरी चाप सुनकर रास्ते बदलने की, काश एक कोशिश तेरे साथ चलने की की होती, तो ज़िंदग़ी कुछ और होती। कितनी कोशिशें कीं तेरी आमद-ए-महफ़िल से कतराने की, काश एक कोशिश शिरकत की की होती,  तो  ज़िंदग़ी कुछ और होती। कितनी कोशिशें की अपने दिल में बसे तेरे प्यार को झुठलाने की, काश एक कोशिश इसे तेरे दिल की राह बताने की की होती, तो ज़िंदग़ी कुछ और होती। कितनी कोशिशें कीं उमंगों के पर कतरने की, काश एक कोशिश इनको परवाज़ देने की की होती, तो ज़िंदग़ी कुछ और होती। कितनी कोशिशें कीं तुझसे दूर जाने की, काश एक कोशिश पास आने की की होती, तो ज़िंदग़ी कुछ और होती। अनिता जैन weekendshayar. Blogspot.in 
कविताः तुझको दुआ देता हूँ , खुद बरबाद हुए जाता हूँ । झरता है तू आखों के प्यालो से, बसता है पलकों के शामियाने में । प्यार इस कदर करता हूँ कि, हर खुशी तुझे नज़र किए जाता हूँl तुझको दुआ देता हूँ,खुद बरबाद हुए जाता हूँl जाता हूँ दर पे ख़ुदा की अपने हाल पर रहम माँगने, पर झुकते ही सर सजदे में,तेरे ही हक में इबादत किये जाता हूँl तुझको दुआ देता हूँ,खुद बरबाद हुए जाता हूँl वादा करता हॅूँ हर रात खुद से न देखूँगा तुझे ख्वाबों  में, पर पलक मूंदते ही हर ख्वाब तेरे ही नाम किए जाता हॅूँl तुझको दुआ देता हॅूँ, खुद बरबाद हुए जाता हूँ। तेरे संग तय की राहों पर चाहता नहीं चलना, पर हर राह पर तेरे नक्श- ए- कदमों की तलाश किए जाता हूँl तुझको दुआ देता हॅूँ,खुद बरबाद हुए जाता हूं। कभी ज़िक्र नहीं होता तेरा मेरे कामों की फ़ेहरिस्त में, पर अनचाहे अनजाने ही अपने शामो - सहर तेरे नाम किए जाता हूँl तुझको दुआ देता हूँ,खुद बरबाद हुए जाता हॅूँl सोचता हूँ तुझको,चाहता हॅूँ तुझको हर वक्त बेख़याली में, पर इस गिरह से  फिर भी आज़ाद होने की कोशिश किए जाता हूँl तुझको दुआ देता हूँ , खुद बरबाद हुए जाता हूँl