Main hara zamana hi jeet gaya

कविता : - मैं हारा ज़माना ही जीत गया।
कुछ ही दिन बीते तुझे देखे,
पर लगता है ज़माना बीत गया।
जो तेरी आंखों में प्यार का समंदर था,
लगता है उसका कतरा - कतरा रीत गया।
मैंने तुझे चुराना चाहा इस ज़माने से,
पर मैं हारा ज़माना ही जीत गया।
जिसमें तेरी- मेरी धड़कनों की ताल थी,
जाने होठों से कहा खो वो गीत गया।
जिसकी गुनगुनी धूप में निहारता था पल - पल तुझे,
इस बार मिला नहीं,  जाने कहाँ वो शीत गया।
                                 -अनिता  जैन
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