Wo sab samajh jati hai

कविता : - वो सब समझ जाती  है।
वो  आँखों से बात करती  है,
सीधा  दिल में उतर जाती है।
वो निगाहों से बात   करती है,
मेरी  निगाह समझ जाती है।
वो चलते -चलते रुक जाती है,
 मेरी आहट सुनकर।
फिर बिना मुझे देखे चल पड़ती है,
 मेरी धड़कन उसकी धड़कन समझ जाती है।
मुझे रूबरू पाकर उसकी,
निगाह उठते-उठते झुक जाती है।
और मेरी रूह उसकी रूह से गुफ्तगू करके
 सब समझ  जाती है।
मुझसे निगाह मिलती है,
तो कहते-कहते बात भूल जाती है।
और  मेरी मुस्कुराहट की गहराई से,
वो अपनी नादानी समझ जाती है।
 कभी -कभी वो दिल को संभाल कर,
 सीधा आंखों  में देखती है।
और  मेरी  ज़ुबान की लड़खड़ाहट में,
मेरे जज़्बों का बयां समझ जाती है।
-अनिता जैन Weekend shayar .blogspot.in

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