Toote Dil ke tukde

कविता : - टूटे दिल के टुकड़े लिए तन्हा बैठा हूं।
मैं तेरी यादों का समंदर  लिए बैठा हूँ ,
 हाँ, तेरे इश्क में शायर बन बैठा  हूं।

जिनमें इश्क, बनकर गुलाब महका करता था,
उन पुराने पन्नों की किताब लिए बैठा  हूँ ।

 खुद के रंजो- ग़म की खबर नहीं मुझे,
 पर तेरी खैरियत  में दस्ते- दुआ उठाए बैठा हूँ ।

 जानता हॅूँ तू नहीं आएगा, आएगा तो भी क्या पाएगा,
 फिर भी तेरी कुरबत  के ख्वाब सजाए बैठा हूं।

इस भीड़ भरी  दुनिया के मेले में,
टूटे दिल के टुकड़े लिए  तन्हा बैठा हूँ ।

     _ अनिता जैन Weekend shayar .in

Comments

Popular posts from this blog

इस बात का शुक्रगुज़ार रहूँगा।