Teri parwah kisko hai

कविता : - तेरी परवाह किसको है।
तू खिलाड़ी, दिलों से खेलना तेरी आदत है,
तेरे  वादों पे ऐतबार किसको है।

तू मुसाफिर, भटकता  दर- ब - दर है,
तेरे जाने पर ऐतराज़ किसको है।

तू परिंदा आसमानी, उड़ता यहाँ -वहाँ है,
तेरी परवाज़ पर इख्तियार किसको है।

तू बिन  आब (पानी) का बादल , डोलता फ़िरता यूं ही है,
तेरे न बरसने पर मलाल किसको है।

तू न दोस्त, न दुश्मन, तुझसे नाता कुछ यूं ही है,
तेरे होने या न होने की परवाह किसकोहै।
- अनिता जैन weekendshayar.blogspot.in

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इस बात का शुक्रगुज़ार रहूँगा।