Roe to ham tab bhi na the
कविताः -रोए तो हम तब भी न थे।
इतना ग़म सहकर हंसते क्यूं हो, ज़माना कहता है,
रोए तो हम तब भी न थे, जब कल ही दिल टूटा था।
हंसते हैं उन लम्हों की यादों में, जो तेरे साथ गुजारे है,
रोए तो हम तब भी न थे, जब तू ग़ैर बनकर गुज़रा था।
तन्हाई के आलम को, तेरे खयालों से आबाद करते है,
रोए तो हम तब भी न थे, जब तेरा हाथ छूटा था।
रोना हमारी फ़ितरत नहीं, हँसना हमारी आदत है,
रोए तो हम तब भी न थे, जब तुझको रोते देखा था।
- अनिता जैन weekend shayar .in
इतना ग़म सहकर हंसते क्यूं हो, ज़माना कहता है,
रोए तो हम तब भी न थे, जब कल ही दिल टूटा था।
हंसते हैं उन लम्हों की यादों में, जो तेरे साथ गुजारे है,
रोए तो हम तब भी न थे, जब तू ग़ैर बनकर गुज़रा था।
तन्हाई के आलम को, तेरे खयालों से आबाद करते है,
रोए तो हम तब भी न थे, जब तेरा हाथ छूटा था।
रोना हमारी फ़ितरत नहीं, हँसना हमारी आदत है,
रोए तो हम तब भी न थे, जब तुझको रोते देखा था।
- अनिता जैन weekend shayar .in
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